Thursday, March 26, 2020

फीचर क्या है और कैसे लिखा जाता है ?



फीचर : स्वरूप एवं लेखन की तकनीक
      रोचक विषय का मनोरम और विशद प्रस्तुतीकरण ही फीचर है। इसमें दैनिक समाचार, सामयिक विषय और बहुसंख्यक पाठकों की रूचि वाले विषय की चर्चा होती है। इसका लक्ष्य मनोरंजन करना, सूचना देना और जानकारी को जनोपयोगी ढंग से प्रस्तुत करना है।
      समकालीन घटना या किसी भी क्षेत्र विशेष की विशिष्ट जानकारी के सचित्र तथा मोहक विवरण को फीचर कहा जाता है। इसमें मनोरंजक ढंग से तथ्यों को प्रस्तुत किया जाता है। इसके संवादों में गहराई होती है। यह सुव्यवस्थित, सृजनात्मक व आत्मनिष्ठ लेखन है, जिसका उद्देश्य पाठकों को सूचना देने, शिक्षित करने के साथ मुख्य रूप से उनका मनोरंजन करना होता है।
      फीचर में विस्तार की अपेक्षा होती है। इसकी अपनी एक अलग शैली होती है। एक विषय पर लिखा गया फीचर प्रस्तुति विविधता के कारण अलग अंदाज प्रस्तुत करता है। इसमें भूत, वर्तमान तथा भविष्य का समावेश हो सकता है। इसमें तथ्य, कथन व कल्पना का उपयोग किया जा सकता है। फीचर में आँकड़ें, फोटो, कार्टून, चार्ट, नक्शे आदि का उपयोग उसे रोचक बना देता है।
फीचर व समाचार में अंतर
फीचर में लेखक के पास अपनी राय या दृष्टिकोण और भावनाएँ जाहिर करने का अवसर होता है, जबकि समाचार लेखन में वस्तुनिष्ठता और तथ्यों की शुद्धता पर जोर दिया जाता है।
फीचर लेखन में उलटा पिरामिड शैली का प्रयोग नहीं होता है। इसकी शैली कथात्मक होती है।
फीचर लेखन की भाषा सरल, रूपात्मक व आकर्षक होती है, परंतु समाचार की भाषा में सपाटबयानी होती है।
फीचर में शब्दों की अधिकतम सीमा नहीं होती। ये आमतौर पर 250 शब्दों से लेकर 500 शब्दों तक के होते हैं, जबकि समाचारों पर शब्द-सीमा लागू होती है।
फीचर का विषय कुछ भी हो सकता है, समाचार का नहीं।
फीचर तथ्यों, सूचनाओं और विचारों पर आधारित कथात्मक विवरण और विश्लेषण होता है।
फीचर लेखन का कोई निश्चित ढाँचा या फार्मूला नहीं होता। इसे कहीं से भी अर्थात् प्रारंभ, मध्य या अंत से शुरू किया जा सकता है।
उदाहरण
बस्ते का बढ़ता बोझ
       आज जिस भी गली, मोहल्ले या चौराहे पर सुबह के समय देखिए, हर जगह छोटे-छोटे बच्चों के कंधों पर भारी बस्ते लदे हुए दिखाई देते हैं। कुछ बच्चों से बड़ा उनका बस्ता होता है। यह दृश्य देखकर आज की शिक्षा-व्यवस्था की प्रासंगिकता पर प्रश्नचिह्न लग जाता है। क्या शिक्षा नीति के सूत्रधार बच्चों को किताबों के बोझ से लाद देना चाहते हैं ?
      वस्तुत: इस मामले पर खोजबीन की जाए तो इसके लिए समाज अधिक जिम्मेदार है। सरकारी स्तर पर छोटी कक्षाओं में बहुत कम पुस्तकें होती हैं, परंतु निजी स्तर के स्कूलों में बच्चों के सर्वांगीण विकास के नाम पर बच्चों व उनके माता-पिता का शोषण किया जाता है। हर स्कूल विभिन्न विषयों की पुस्तकें लगा देते हैं। ताकि वे अभिभावकों को यह बता सकें कि वे बच्चे को हर विषय में पारंगत कर रहे हैं और भविष्य में वह हर क्षेत्र में कमाल दिखा सकेगा। अभिभावक भी सुपरिणाम की चाह में यह बोझ झेल लेते हैं, परंतु इसके कारण बच्चे का बचपन समाप्त हो जाता है। वह हर समय पुस्तकों के बीच दबा रहता है। खेलने का समय उसे नहीं दिया जाता। अधिक बोझ के कारण उसका शारीरिक विकास भी कम होता है।
      छोटे-छोटे बच्चों के नाजुक कंधों पर लदे भारी-भारी बस्ते उनकी बेबसी को ही प्रकट करते हैं। इस अनचाहे बोझ का वजन विद्यार्थियों पर दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है जो किसी भी दृष्टि से उचित नहीं है।

XI-20-21-हिंदी परियोजना का प्रमाण-पत्र


प्रमाण-पत्र

परियोजना कार्य का शीर्षक - .............................................................................................
प्रमाणित किया जाता है कि श्री/सुश्री .........................................................……….........
कक्षा- XI.... क्र.सं. ..... सत्र- 2020-21 ने यह परियोजना कार्य मेरे निर्देशन में किया है।


(रामरक्षा मिश्र)
पीजीटी-हिंदी                                                  (प्राचार्य)
के.वि.,बैरकपुर(थलसेना)                               के.वि.,बैरकपुर(थलसेना)


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मूल्यांकन-पत्र

विषय-वस्तु



भाषा एवं प्रस्तुति


शोध एवं मौलिकता
कुल अंक
5
3
2
10







(रामरक्षा मिश्र)
परीक्षक/पीजीटी-हिंदी                                            (प्राचार्य)
के.वि.,बैरकपुर(थलसेना)                               के.वि.,बैरकपुर(थलसेना)

XII-2021-हिंदी परियोजना का प्रमाण-पत्र


प्रमाण-पत्र

परियोजना कार्य का शीर्षक - .............................................................................................
प्रमाणित किया जाता है कि श्री/सुश्री .........................................................................
क्र.सं.............................(AISSCE,2021) ने यह परियोजना कार्य मेरे निर्देशन में किया है।


(रामरक्षा मिश्र)
पीजीटी-हिंदी                                                  (प्राचार्य)
के.वि.,बैरकपुर(थलसेना)                               के.वि.,बैरकपुर(थलसेना)


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मूल्यांकन-पत्र

विषय-वस्तु



भाषा एवं प्रस्तुति


शोध एवं मौलिकता
कुल अंक
5
3
2
10







(रामरक्षा मिश्र)
परीक्षक/पीजीटी-हिंदी                                            (प्राचार्य)
के.वि.,बैरकपुर(थलसेना)                               के.वि.,बैरकपुर(थलसेना)

अनौपचारिक एवं औपचारिक पत्र के सामान्य प्रपत्र


औपचारिक पत्र का प्रारूप

अवकाश के लिए प्रार्थना-पत्र



सेवा में
प्राचार्य
केंद्रीय विद्यालय
बैरकपुर (थलसेना),
कोलकाता- 700120

विषय : अवकाश हेतु प्रार्थना-पत्र।

महोदय,
सविनय निवेदन है कि कल सायं विद्यालय से आते ही मुझे ज्वर हो गया था। डॉक्टर ने मुझे तीन दिन तक विश्राम करने की सलाह दी है। अतः मैं दिनांक ............. से ................ तक विद्यालय में उपस्थित हो पाने में असमर्थ हूँ।
                            
आपसे प्रार्थना है कि दिनांक .............से ............ तक  मुझे अवकाश प्रदान करने की कृपा करें। (या, मेरा अवकाश स्वीकृत कर मुझे अनुगृहीत करें।)

सधन्यवाद,
आपका / आपकी आज्ञाकारी छात्र / छात्रा
क ख ग
कक्षा- ग्यारह - डी
अनुक्रमांक -18
दिनांक : ...................

संलग्न : चिकित्सा-प्रमाण-पत्र

अनौपचारिक पत्र का प्रारूप

अपने मित्र को जन्म-दिन के उपलक्ष्य में बधाई-पत्र



परीक्षा भवन
केंद्रीय विद्यालय, बैरकपुर (थलसेना),
कोलकाता- 700120
दिनांक: .......................

प्रिय मित्र पंकज
सप्रेम नमस्ते।

आज ही मुझे तुम्हारे जन्मदिन के कार्यक्रम का निमंत्रण-पत्र प्राप्त हुआ। मुझे यह जानकर अत्यंत प्रसन्नता हुई कि गत वर्ष की भाँति इस वर्ष भी तुम अपना जन्म-दिन बड़े ही धूमधाम से मना रहे हो।

मेरी ओर से तुम्हें जन्म-दिन की शत-शत बधाई !

मैं उस दिन कार्यक्रम में अवश्य सम्मिलित होऊँगा। पूज्य चाचा जी तथा चाची जी को सादर प्रणाम कमल को प्यार।

तुम्हारा अभिन्न मित्र
मोहन*


*केवल नाम, उपनाम (टाइटिल नहीं)