Sunday, February 22, 2015

प्रमुख अलंकार







परीक्षा निकट है । आपकी सुविधा के लिए कविता के शिल्प सौंदर्य या उसकी भाषिक विशेषताओं की  सहायक सामग्री के रूप में प्रमुख अलंकारों का स्वरूप संक्षेप में स्पष्ट कर रहा हूँ ।

डॉ. रामरक्षा मिश्र

 
  • अनुप्रास

जहाँ व्यंजन वर्णों की आवृत्ति के कारण काव्य में चमत्कार होता है ।

उदाहरण

तरनि तनूजा तट तमाल तरूवर बहु छाए ।

  • यमक

जहाँ एक शब्द बार-बार आए किन्तु हर बार उसका अर्थ बदल जाए ।

उदाहरण

तीन बेर खाती थीं वे तीन बेर खाती हैं ।

  • उपमा

जब किसी वस्तु या व्यक्ति की विशेषता बताने के लिए उसकी समानता उस गुण में बढ़ी हुई किसी अन्य वस्तु या व्यक्ति से की जाती है ।

 उदाहरण

पीपर पात सरिस मन डोला ।

  • उत्प्रेक्षा

जहाँ उपमेय और उपमान की समानता के कारण उपमेय में उपमान की संभावना हो ।

 उदाहरण

मानहुँ मदन दुंदुभी दीन्ही ।

मनसा विस्वविजय चहँ कीन्ही ।

  • रूपक

जहाँ उपमेय में उपमान का निषेधरहित

आरोप हो ।

उदाहरण

मन का मनका फेर ।

  • अतिशयोक्ति

जहाँ किसी गुण या स्थिति का बढ़ा

चढ़ाकर वर्णन किया जाय ।

उदाहरण

राणा ने सोचा इस पार

तब तक चेतक था उस पार ।   

  • अन्योक्ति

जहाँ किसी उक्ति के माध्यम से कोई अन्य बात कही जाय ।

उदाहरण

नहिं पराग नहिं मधुर मधु नहिं विकास इहि काल ।

अली कली ही सौं बध्यौं आगे कौन हवाल ।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 


No comments: