इस बार से सीबीएसई ने XII के पाठ्यक्रम में एक और विषय जोड़ दिया है- 'समीक्षा'। नीचे आपकी सुविधा के लिए पद्य और गद्य- दोनों की समीक्षा के दो नमूने दिए जा रहे हैं। कृपया स्वयं पुस्तकें पढ़ें और समीक्षा लिखने का अभ्यास करें ।
पुस्तक-समीक्षा(गद्य)
विविधा : भोजपुरी साहित्य का एक संदर्भ ग्रंथ
समीक्ष्य कृति : विविधा (संपादकीय आलेख संग्रह)
लेखक : पांडेय कपिल
प्रकाशक : भोजपुरी संस्थान, 3/9, इंद्रपुरी, पटना- 800024
प्रथम संस्करण : अक्टूबर, 2011, पृष्ठ संख्या : 482 , मूल्य : बारह सौ रुपये
‘विविधा’ सुप्रसिद्ध आचार्य पांडेय कपिल द्वारा संपादित भोजपुरी पत्रिकाओं के संपादकीय आलेखों का संग्रह है।ये सभी आलेख उनके द्वारा संपादित लोग, उरेह एवं भोजपुरी सम्मेलन पत्रिका (मासिक) के दिसंबर, 2001 तक के अंकों में छप चुके हैं।
इसमें लेखक ने भोजपुरी से जुड़ी हस्तियों को जन्म, मृत्यु या किसी खास अवसर पर जब याद किया है तो जैसे वे सभी परिचयात्मक कोश हो गए हैं। भविष्य में वे सभी उन पर शोध हेतु मानक सामग्री स्रोत हो सकते हैं।इन लेखों में उन्होंने पुराने लेखकों के साथ ही नए लेखकों को भी महत्त्व प्रदान किया है। आचार्य महेंद्र शास्त्री, रघुवंश नारायण सिंह, आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी आदि स्थापित साहित्यकारों के साथ ही शशिभूषण सिंह शशि जैसे नवोदित रचनाकारों को भी उसी सम्मान के साथ याद किया गया है।
इस पुस्तक को 1975 से 2001 तक के 26 वर्षों के भोजपुरी साहित्य एवं संस्कृति की धड़कनों के रूप में भी देखा जा सकता है।
‘भोजपुरी में अराजक स्थिति’ जैसे लेखों से संपादक की चिंता समझ में आती है।इस पुस्तक में भाषा के मानकीकरण पर भी लेखक संवेदनशील है और इस अराजक स्थिति से उबरने में वह कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहता। मानवाधिकार के उल्लंघन पर भी इनकी लेखनी खूब चली है।‘अमानुषिक अपराध : सामाजिक कलंक’ एवं ‘फीजी सरकार के अत्याचार’ इसी तरह के आलेख हैं।
सिलसिलेवार समय की नब्ज टटोलना आसान काम नहीं होता। इसके लिए बहुत जागरूक रहना पड़ता है। अपने संपादकीय में ‘कारगिल’ जैसे राष्ट्रीय चिंता एवं गर्व पर भी लेखक सक्रिय दिखता है।इस तरह के काम हिंदी में जरूर मिल जाएँगे पर मेरी जानकारी में भोजपुरी में यह पहला ग्रंथ है, जिसमें पर्याप्त सामग्री अपने स्तरीय रूप में है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि ‘विविधा’ अपने छिटपुट रूप में भोजपुरी साहित्य का एक संदर्भ ग्रंथ है और भविष्य में शोधार्थी इसका प्रयोग खूब करेंगे।
समीक्षक : ....(परीक्षा में प्रश्नपत्र में निर्देशित नाम या क ख ग)
पुस्तक-समीक्षा((कविता)
पागल
मन फिर बुन रहा सपनों का संसार
समीक्ष्य
कृति : खोलो मन के द्वार
कवि : गोविंद सेन
प्रकाशक
: बोधि प्रकाशन
मूल्य
: 60 रुपये
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